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गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन
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कर्तृत्वशक्ति से जो भी अवदान समाज एवं राष्ट्र को दिए हैं, उनका समावेश भी इसमें कर दिया गया है । साहित्यिक शैली में लिखा गया यह जीवनीग्रन्थ आचार्यश्री के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व की कुछ रेखाओं को खींचने में समर्थ हो सका है, क्योंकि स्वयं युवाचार्यश्री इस बात को स्वीकारते हैं - "इतना लम्बा मुनि जीवन, इतना लम्बा आचार्यपद, इतना आध्यात्मिक विकास, इतना साहित्य-सृजन, इतने व्यक्तियों का निर्माण वस्तुतः ये सब अद्भुत हैं । आचार्यश्री की जीवन-गाथा आश्चर्यों की वर्णमाला से आलोकित एक महालेख है ।' ऐसे विराट् व्यक्तित्व को मात्र ३७१ पृष्ठों में बांधना संभव नहीं है पर वर्तमान में उनके जीवन पर प्रकाश डालने वाले जीवन-वृत्तों में यह सर्वोत्कृष्ट जीवनीग्रन्थ कहा जा सकता है ।
यह ग्रन्थ मुख्यतः ७ अध्यायों में विभक्त है। अध्याय अनेक शीर्षकों में विभक्त हैं। परिशिष्ट में उनके साहित्य की सूची तथा चातुर्मास एवं मर्यादा महोत्सव के स्थान एवं समय का भी उल्लेख है। - इसमें स्थान-स्थान पर आचार्यश्री के उद्धरणों का प्रयोग हुआ है, इस कारण यह वैचारिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध हो गया है।
आचार्यश्री तुलसी "जैसा मैंने समझा"
सीताशरण शर्मा द्वारा लिखी गयी यह जीवनी बहुत सरल एवं सहज भाषा में निबद्ध है । सम्पूर्ण ग्रन्थ छह भागों में विभक्त है
० जब बालक थे ० जव मुनि बने ० जब आचार्य बने ० जब व्यापक बने ० जनता की नजरों में ० नेताओं की नजरों में
इस ग्रन्थ की एक विशेषता है कि इसका लेखक कोई जैन या उनका अनुयायी नहीं, अपितु सनातन धर्म में आस्था रखने वाला है । भाषा में साहित्यिकता नहीं है, पर श्रद्धा से पूरित हृदय से लिखी जाने के कारण इसमें स्वाभाविकता है तथा बच्चों को सम्बोधित करके लिखी जाने के कारण उसमें सरलता एवं सरसता का समावेश हो गया है ।
आचार्य तुलसी : जीवन दर्शन ___ मुनिश्री बुद्धमलजी आचार्य तुलसी के प्रारम्भिक छात्रों में प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं । मुनिश्री द्वारा लिखी गयी यह जीवनी दस अध्यायों में विभक्त है। अध्याय भी अनेक उपशीर्षकों में बंटे हुए हैं। इसमें मुनिश्री ने बहुत सरस, सरल एवं प्राञ्जल भाषा में आचार्यश्री के व्यक्तित्व को प्रस्तुति दी
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