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________________ गद्य साहित्य : पर्यालोचन और मूल्यांकन में हो तो उनके जीवन में विशिष्टता का आविर्भाव हो सकता है ।"" उन्होंने अपने साहित्य में आज की दिग्भ्रान्त युवापीढ़ी की कमजोरियों का अहसास कराया है तो विशेषताओं को कोमल शब्दों में सहलाया भी है । कहीं उन्हें दायित्व - बोध कराया है तो कहीं उनसे नई अपेक्षाएं भी व्यक्त की हैं । कहीं-कहीं तो उनकी अन्तः वेदना इस कदर व्यक्त हुई है, जो प्रत्येक मन को आंदोलित करने में समर्थ है - " यदि भारत का हर युवक शक्ति सम्पन्न होता और उत्साह के साथ शक्ति का सही नियोजन करता तो भारत की तस्वीर कुछ दूसरी ही होती । " आचार्य तुलसी अपने साहित्य में स्थान-स्थान पर अकर्मण्य, आलसी और निरुत्साही युवकों को झकझोरते रहते हैं । औपमिक भाषा में युवकों की अन्तःशक्ति जगाते हुए वे कहते हैं- "जिस प्रकार दिन जैसे उजले महानगरों में मिलों के कारण शाम उतर आती है, वैसे ही संकल्पहीन युवक पर बुढ़ापा उतर आता है ।' 23 वे आज की युवापीढ़ी से तीन अपेक्षाएं व्यक्त करते हैं १. युवापीढ़ी का आचार-व्यवहार, खान-पान तथा रहन-सहन सादा तथा सात्त्विक हो । २. युवापीढ़ी विघटनमूलक प्रवृत्तियों से ऊपर उठकर अपने संगठन पथ को सुदृढ़ बनाए । १८५ ३. युवापीढ़ी समाज की उन जीर्ण-शीर्ण, अर्थहीन एवं भारभूत परंपराओं को समाप्त करने के लिए कटिबद्ध हो, जिसका संबंध युवकों से है । ११२ 113 युवापीढ़ी में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति से आचार्य तुलसी अत्यन्त चिंतित हैं । वे मानते हैं — "किसी भी समाज या देश को सत्यानाश के कगार पर ले जाकर छोड़ना हो तो उसकी युवापीढ़ी को नशे की लत में डाल देना ही काफी है वे भारतीय युवकों के मानस को प्रशिक्षित करते हुए कहते हैंप्रारम्भ में व्यक्ति शराब पीता है, कालांतर में शराब उसे पीने लगती है । " शराब जिस घर में पहुंच जाती है, वहां सुख, शांति और समृद्धि पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल जाते हैं ।' '४ आचार्य तुलसी का मानना है कि मादक पदार्थों की बढ़ती हुई घुसपैठ १. दोनों हाथ : एक साथ, पृ० १०१ । २. समाधन की ओर, पृ० १० । ३. कुहासे में उगता सूरज, पृ० १२५ । ४. एक बूंद : एक सागर, पृ० १३२० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003117
Book TitleAcharya Tulsi Sahitya Ek Paryavekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size23 MB
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