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शिवम्
'अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी' यह नाम किसी व्यक्ति का वाचक नहीं, व्यापक धर्म की अवधारणा का प्रतिनिधि है। अणुव्रत अनुशास्ता ने धर्म को व्यापक बनाकर उसे सत्य के सिंहासन पर आसीन किया है।
____ 'वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी' यह नाम विशाल ज्ञान-राशि का प्रतिनिधि है । जो कहा, वह श्रुत बन गया। जो लिखा, वह वाङ्मय बन गया।
दृष्ट, श्रुत और अनुभूति की संयोजना का एक दीर्घकालिक इतिहास है। समणी कुसुमप्रज्ञा ने विशाल ज्ञानराशि की संकेत पदावलि को प्रस्तुत पुस्तक में संदर्शित करने का प्रयास किया है। इससे पाठक को उस विशाल श्रुत से परिचित होने का अवसर मिलेगा। समणी कुसुमप्रज्ञा का प्रयास अपने आप में अर्थवान् है ।
वनीपार्क, जयपुर १९-३-९४
आचार्य महाप्रज्ञ
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