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भी नहीं होते। अज्ञानी अपनी कल्पना से, मानसिक ऊहापोह से समस्या खड़ी कर लेता है और उसका भार ढोता रहता है। ज्ञानी दुःख पैदा नहीं करता। आस्तिक्य
सम्यक् दर्शन का पांचवां लक्षण है-आस्तिक्य। अस्ति का अर्थ है 'है'। 'है' को स्वीकार करना आस्तिक्य होता है। छह बातों को जानने वाला आस्तिक होता है
१. आत्मा है। २. आत्मा पुनर्भवगामी है। ३. आत्मा सुख-दुःख का कर्ता है। ४. आत्मा सुख-दुःख की भोक्ता है। ५. बंध है और उसके हेतु हैं। ६. मोक्ष है और उसके हेतु हैं।
कुछ लोग आस्तिक्य का अर्थ आस्था कर देते हैं, पर वह पूर्ण नहीं है। इन छह बातों को जानना आस्तिक्य है। इसके बिना जीवन की नौका डगमगा जाती है। नौका को चलाने वाला भी चाहिए। ज्ञानी समाधान निकाल लेता है और अज्ञानी डूब जाता है।
लार्ड माउण्टबेटन नौ-सेना में भर्ती होने के लिए परीक्षा देने गए। परीक्षक ने कहा- 'युवक! जब तुम जहाज को लेकर जाओगे, उस समय तूफान आ जाएगा तो क्या करोगे?' उत्तर दिया-'लंगर डाल दूंगा।' 'फिर तूफान आ जाएगा तो?' 'फिर लंगर डाल दूंगा।' फिर आएगा तो? ‘फिर लंगर डाल दूंगा।' 'इतने लंगर कहां से आएंगे?' युवक ने उत्तर दिया- 'जहां से
आस्तिक्य म ६६
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