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व्यक्ति ज्ञान से जानता है, दर्शन से श्रद्धा, चरित्र से निग्रह और तपस्या से कर्मों का नाश करता है। ___ गंदा पानी कोई नहीं पीता। गंदा शरीर, गंदा कपड़ा, गंदा मकान और गन्दी जबान कोई पसन्द नहीं करता। हर आदमी स्वच्छता व निर्मलता चाहता है। फिर क्यों नहीं हम दृष्टि को निर्मल बनाएं?
मिथ्यादृष्टि होना हर किसी को बुरा लगता है। इसका अर्थ है कि हर आदमी दृष्टि की निर्मलता चाहता है।
शिष्य ने भगवान से पूछा-'यह सम्यक्दृष्टि है या मिथ्यादृष्टि, इसको कैसे जानें? क्या दोनों का कोई चिह्न है?' चिह्न पहचान के लिए होता है। पगड़ी से मारवाड़ी की पहचान होती है। विभिन्न सम्प्रदायों के लोग भिन्न-भिन्न तिलकों से पहचाने जाते हैं।
भगवान ने शिष्य के उत्तर में सम्यक् दर्शन के ५ लक्षण बताये हैं
१. श्रम-शान्ति २. संवेग-मुमुक्षा ३. निर्वेद-अनासक्ति ४. अनुकम्पा-दया ५. आस्तिक्य-सत्य के प्रति गहरी निष्ठा।
जिसमें ये पांच लक्षण मिलें वे सम्यक्दृष्टि, जिनमें न मिलें वे मिथ्यादृष्टि।
जो अमिट रोष करता है, जिसके स्वभाव में निरन्तर चिड़चिड़ापन हो, तो समझना चाहिए उसे सम्यक् दर्शन का स्पर्श नहीं हुआ है। एक बार गुस्सा आने से गांठ इतनी घुल जाती है कि फिर वह खुलती नहीं, टूट जाती है। किसी से असद्व्यवहार
सम्यक्दृष्टि (२) म ४६
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