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रहती है, दूसरे में दबोचने की। भंवरा कमल को भी डंसता है और बांस को भी डंसता है। बांस को काट देता है और कमलकोष में बंध जाता है। पिता अपनी पुत्री का आलिंगन करता है, जब वह ससुराल जाती है। वह अपनी भार्या का आलिंगन भी करता है। दोनों आलिंगनों में मन की भावना भिन्न-भिन्न है। भावना भीतर से आती है, बाहर से नहीं। आसक्ति : अनासक्ति ___ परमार्हत कुमारपाल की सभा में हेमचन्द्र थे, और भी विद्वान् थे। स्थूलिभद्र का प्रसंग चल पड़ा। आचार्य हेमचन्द्र ने स्थूलिभद्र को अनासक्त भोगी बताया। बारह वर्ष तक कोशा वेश्या के घर पर रहे। षड्रस का भोजन किया। फिर भी निर्लिप्त रहे। दूसरे विद्वानों ने इस बात को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा
'विश्वामित्र पराशरः प्रभृतयो वाताम्बुपर्णाशनाः, तेऽपि स्त्रीमुखपंकजं सुललितं दृष्टैव मोहं गताः। शाल्यन्नं सघृतं पयोदधियुतं ये भुञ्जते मानवास्तेषामिन्द्रियनिग्रहो यदि भवेद् विन्ध्यस्तरेत् सागरम् ॥'
विश्वामित्र, पराशर आदि ऋषि हवा, पत्ते और पानी खाते थे। वे भी स्त्री के सुललित मुख को देखकर भ्रष्ट हो गए। जो आदमी घी सहित आहार करे, दूध-दही खाए और इन्द्रियों का निग्रह भी रखे, कितना बड़ा आश्चर्य है!
पत्ते-पानी खाने वाले विश्वामित्र और पाराशर मोह में फंस गए और वेश्या के घर रहने वाले ब्रह्मचारी रहे, यह बात समझ में नहीं आती। एक बार सन्नाटा-सा छा गया। आचार्य हेमचन्द्र
धर्म और रूढ़िवाद १४३
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