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रहेगा। आदि से अन्त तक सारा धर्म सामायिक है।
सामायिक तीन प्रकार की होती है-श्रुत सामायिक, दर्शन . सामायिक और चारित्र सामायिक। श्रुत सामायिक
जो क्षण हमारे शान्ति के बीतते हैं, वह सामायिक है। तत्त्व की अन्वेषणा, सत्य की खोज और आत्मा को जानने का प्रयत्न करते हैं, वह सब सामायिक है। ___'कोऽहं' मैं कौन हूं? जो मनुष्य है, वह एक दिन समाप्त होने वाला है; ये बच्चे, जवान और बूढ़े कुछ वर्षों के लिए हैं; पुद्गल कभी नहीं मिटते, जितने हैं उतने ही रहेंगे; केवल अवस्था परिवर्तन होता है। संसार में जीव और अजीव जितने थे, उतने ही रहेंगे और उतने ही हैं। सबका अस्तित्व असंदिग्ध है। मनुष्य ही एक ऐसा अभागा प्राणी है जो अपने अस्तित्व में सन्देह करता है और वह यह सोचता है कि कौन जाने परलोक है या नहीं?
प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर कोई नहीं कह सकता कि परलोक है या नहीं, फिर भी अशुभ आचरण नहीं करना चाहिए। एक कवि ने कहा है कि परलोक के संदिग्ध होने पर भी अशुभ आचरण त्याज्य है। यदि वह नहीं है तो अशुभ के त्याग से कोई हानि नहीं होगी और यदि है तो बेचारा नास्तिक मारा जाएगा। 'संदिग्धेपि परे लोके, त्याज्यमेवाशुभं बुधैः। यदि नास्ति ततः किं स्यादस्ति चेत् नास्तिको हतः ॥'
सामायिक धर्म में १३५
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