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चाहिए। मेरे देश में ऐसा करने वाला जेल में मिलेगा।
भगवान महावीर के पहले अहिंसा अणुव्रत के पांच अतिचार में एक अतिचार है-पशुओं पर ज्यादा भार लादा हो, क्रूर व्यवहार किया हो तो मिच्छामि दुक्कडं वाणी से कह देते हैं पर जीवन में उतरना चाहिए क्या कर तो लेते हैं नौकर, पुत्र और बहुओं के साथ क्रूर व्यवहार नहीं होता जो बहू पीहर से कम धन लाती है, उस पर गाली की बौछारें होती हैं।
दिल्ली के ज्योति प्रसाद जैन मेरे पास आए। बैठ गए। मैंने कहा- 'आए नहीं, क्या बात है?' बोले- 'बहुत दुःखी हूं। क्या कहूं!' आंखों में आंसू आ गए। फिर पूछा-'आप जैसे गम्भीर क्यों घबरा गए?' मेरी लड़की ग्वालियर ब्याही है, दहेज कम दिया। जब ससुराल गई तो गालियां मिलीं। वह सहती गई, फिर मारपीट हुई। सास पीटती, ससुर भी पीटता। सब पीछे पड़ गए। उसका अपराध यही था कि दहेज कम लाई थी। अब समाचार आया कि उसे मार डाला गया है।'
यह किस समाज में हुआ। यह उस समाज में घटित हुआ है? जो धर्म-परिवार है, अपने को जैन मानता है। एक ओर पश्चिमी देश हैं, वे धर्म को नहीं मानते। वहां ऐसी घटना नहीं मिलेगी। व्यवस्था में उन्होंने आधुनिक परिवर्तन कर दिया है। यहां गाय-भैंसों के बैठने का स्थान है, उसे साफ करना आवश्यक नहीं समझते। पश्चिमी लोग गाय-भैंसों के बांधने का जो स्थान है वहां सफाई रखते हैं। उन्हें स्नान कराते हैं, उनके लिए पंखा रखते हैं। उन्होंने आविष्कार किया कि गाय-भैसों को संगीत सुनाने व आराम देने से दूध ज्यादा मिलता है। दुहने के समय उन्हें मधुर गाने सुनाते हैं। उन्होंने ध्यान दिया कि चाहे पशु-पक्षी, १३२ : धर्म के सूत्र
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