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किया था। वह समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री था। अपने सिद्धान्त के प्रतिपादन के लिए भटकता रहा। पता चलने पर लोग देश से निकाल देते थे, मकान से निकाल देते थे। जिन्होंने संसार को नया तत्त्व दिया है, उनको उनके ही भक्तों द्वारा अपमान सहना पड़ता है, कभी जहर भी पीना पड़ता है।
सुकरात महान् साधु व तत्त्ववेत्ता था। आज भी पश्चिमी देशों में वह प्रथम कोटि का माना जाता है। उसने वर्तमान रूढ़िगत धारणा के विरुद्ध सत्य की घोषणा की थी, इसीलिए उसको जहर का प्याला पीना पड़ा। ईशु को फांसी पर चढ़ना पड़ा, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन धर्म के विरुद्ध बातें कही थीं। भिक्षु स्वामी को भी बहुत सहना पड़ा था।
अयोध्या से प्रकाशित एक पत्र में लिखा था-सब धर्माचार्यो! चेतो। आचार्य तुलसी अणुव्रत के नाम पर सब पर छाए जा रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रपति, शिक्षाशास्त्री, मंत्रियों और राजनयिकों को अपने चंगुल में फंसा लिया है। एक दिन ऐसा आने वाला है जब सब धर्मों का अस्तित्व मिट जाएगा और एक ही धर्म रहेगा, वह होगा अणुव्रत।
धीर-पुरुष के सोचने का कम है। गाली देता है तो सोचता है-गाली ही दी पीटा तो नहीं। कभी पीटने की नौबत बन जाती है तब सोचता है-प्राण तो नहीं लूटे, केवल पीटा ही।
हमने देवास में देखा। व्याख्यान का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। दो ओर से हल्ला उठा। हल्ला करने वाले पांच-दस ही भाई थे, पर हल्ले से सबका ध्यान खिंच गया। पूज्य गुरुदेवश्री को प्रार्थना की कि आप ऊपर पधार जाएं, क्योंकि पत्थर आने की सम्भावना है। पत्थर आने लगे। निशाना लगाया था सिर पर,
धर्म का व्यावहारिक मूल्य : १२६
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