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है कवि? विविधता में विकास हो रहा है। सोचने का ढंग भिन्न होना चाहिए। आनन्द क्या है?
कल सतियों से पूछा-बताओ, आनन्द क्या होता है? रोटी मिले तब तो ठीक, दो दिन न मिले तब पता लगे कि आनन्द क्या होता है? यदि रोटी, पानी, मकान मिलने से आनन्द है तो वह साधुपन में कहां रहा? आनन्द या सुख क्या होता है?
नारद ने सनत्कुमार से पूछा-'सुखं नु भगवो जिज्ञासे'-मैं सुख जानना चाहता हूं।
सनत्कुमार ने उत्तर दिया-'भूमा सुखं'। जो अल्प नहीं, व्यापक है, उसका नाम सुख है।
लोग कहते हैं, मोक्ष में सुख मिल जाएगा। वहां सुख क्या है? शरीर नहीं होता, खाना-पीना नहीं होता, चिन्तन नहीं होता, मित्रों की गोष्ठी नहीं होती, कुछ भी नहीं होता। आखिर सुख क्या है? यह जटिल प्रश्न है, और बड़ा प्रश्न है। सहज सुख व सहज आनन्द वह होता है जो वस्तु-निरपेक्ष होता है।
____ प्यास लगी, पानी मिला, सुख का अनुभव हुआ। रोटी मिली, भूख मिटी, सुख मिला। जेठ मास में पथिक को वृक्ष की ठंडी छाया मिलने से सुख होता है। ये सब सुख वस्तु-सापेक्ष हैं। फिर वस्तु-निरपेक्ष सुख कैसे हो सकता है? सांख्य दर्शन ने सुख पर मीमांसा की है। उसने प्रश्न उठाया-क्या खाना
सुख है?
उत्तर में कहा-खाना सुख नहीं है। संस्कृत में भूख का नाम जठराग्नि की पीड़ा है। यह रोज की बीमारी है। नहीं खाने
सुख क्या है? (१) म १०७
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