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से पेट दर्द करता है, खाने से नहीं करता। फिर खाना सुख कैसे? खाने से बीमारी शान्त होती है। सिर का दर्द कभी-कभी होता है, पर जठराग्नि की पीड़ा प्रतिदिन होती है। अभी खाया, छह घण्टे बाद फिर भूख लग जाती है। भूख रोग है और खाना रोग की दवा है। रोग पर दवा लेना भी क्या सुख है? यदि है तो खाना भी सुख हो सकता है।
क्या संगीत सुनना सुख है? ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को संगीत सुनाएंगे तो वह कहेगा-शोर क्यों मचाते हो? आराम करने दो। संगीत सुख कहां हुआ?
भौतिक साधनों में सुख हो भी सकता है, नहीं भी होता है। आगम की कहानी है-एक राजा जंगल में गया। रास्ता भूल गया। प्यास लग गई। जंगल में कोई नहीं मिला। एक भील मिला उसको संकेत से समझाया। भील ने पानी पिलाया
और खाने को दिया। राजा उसे उपकारी मान अपने साथ राजधानी ले गया। महल दिखाया, खाना खिलाया, सभा दिखाई। नाटक दिखाने के लिए नाटक का आयोजन किया। राजा बैठ गया। नर्तकी आई। वादिंत्र बज रहे हैं, गायन के साथ नृत्य थिरक रहा है, भील देख रहा है। देखते-देखते चिन्ता में फंस गया। बाहर गया। लोहे की सलाई गरम कर लाया। लोगों ने देखा। उसने देखते-देखते नर्तकी के शरीर पर गरम सलाई को दाग दिया। वह बोला-'राजन्! आपकी सभा में कोई आयुर्वेद को जानने वाला दिखाई नहीं देता। आज तो मैं आ गया, नहीं तो यह मर जाती। इसके धनुष्टंकार का रोग हो गया था। मैंने सलाई से दाग दिया और यह सीधी हो गई।'
कुछ लोग नृत्य का आनन्द ले रहे थे, लेकिन वह नृत्य १०८ - धर्म के सूत्र
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