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का होता तो चावल के स्थान पर गेहूं लिखता। भूख कष्ट देती है, उसे मिटाने के लिए आदमी खाता है, क्योंकि खाने से सुख मिलता है। यदि सुख नहीं मिलता तो आदमी खाना नहीं खाता। कवि-गोष्ठी में चर्चा चली कि मधुर क्या है? एक ने कहा-दही। दूसरा बोला--मधु। तीसरा बोला-द्राक्षा। चौथा बोला-शर्करा। पांचवां बोला-भई! असंख्य वस्तुएं हैं, कितने नाम गिनाओगे? यथार्थ यह है कि जिसका मन जहां रुचे, उसके लिए वही मधुर है।
___ कोई कहता है आराम करना सुख है और कोई कहता है काम करना सुख है। कोई कहता है अनुकूल परिस्थिति का निर्माण करना सुख है। कोई कहता है प्रतिकूल परिस्थिति से जूझना सुख है। हम कवि की भावना को इन शब्दों में प्रस्तुत कर सकते हैं
सुख-दुःख क्या है मनोभावना, जिसने जैसा कर माना। मधुकर ने अपने मरने को,
था अनन्त सुखमय जाना। यह बहुरंगी दुनिया है। इसलिए सब भिन्न-भिन्न सोचते हैं। सभी एक प्रकार से सोचते तो जड़ता आ जाती। उपनिषद् में कहा है-'स एकाकी नैव रेमे'-भगवान का भी अकेले में मन नहीं लगा। आदमी विविधता या बहुरूपता चाहता है। पुष्पवाटिका में नाना प्रकार के फूल मिलेंगे। फिर नाना विचारों में कष्ट क्यों? विचार भी तो मन का एक पुष्प है। विचारों की विविधता होना सौन्दर्य का पहला लक्षण है। एकरूपता में कवियों के लिए कठिनाई हो जाती है कल्पना करने में। एकरूपता में क्या लिखता
१०६ । धर्म के सूत्र Jain Education International
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