________________ आज का युग प्रवृत्ति-वहुलता का युग है। भगवान् महावीर ने निवृत्ति का जीवन जीया था। हम लोग व्यवहार के तर पर सोचते लब प्रवृत्ति और निवृत्ति को विभक्त कर देते हैं। भारतीय जीवन में पुरुषार्थ की प्रेरणा देने वालों में भगवान् महावीर अग्रणी हैं। निवृत्ति स्वयं पुरुषार्थ है और पुरुषार्थ के बिना वह प्राप्य भी नहीं है। भगवान् के जीवन-दर्शन में शाश्वत और सामयिक-दोनों सत्य व्यक्त हुए हैं। आज का यथार्थवादी युग उनके द्वारा अभिव्यक्त यथार्थ की क्रियान्विति का उपयुक्त समय है। स्वतंत्रता, सापेक्षता, सहअस्तित्व, समन्वय, समत्वानुभूति जैसे तत्त्व आज जाने-अनजाने लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। इस सहज धारा में हम एक धारा और, मिलायें, जिससे वह महा प्रवाह बन -जीवन की उर्वरा को अहिंसा और अनेकांत का सिंचन दे सके। वह सिंचन हम सबके लिए, समूचे विश्व के लिए कल्याणकारी होगा। आचार्य तुलसी - जैन विश्वभारती, लाडनूं (राज.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org