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साध्वी बालूजी श्रद्धामय आकार साध्वी बालूजी
संयम ही साकार साध्वी बालूजी।। 1. जीवन में देखी हरियाली, सहज मिली इमरत की प्याली
__गांव बना उपहार... 2. सूखी शाखा को भी देखा, अद्भुत है जीवन का लेखा
पति वियोग का भार... 3. कहा पिता ने सुत जनमेगा, पर वह मेरा साथ न देगा
चिन्ताकुल उद्गार... 4. माता बोली नहीं चाहिए, ऐसा बेटा नहीं चाहिए
__ पति है प्राणाधार... 5. क्यों चिन्तातुर ? हुआ इशारा, बेटा देगा साथ तुम्हारा
जुड़ा रहेगा तार... 6. पाला सुत को तन से मन से, प्राणार्पण से संचित धन से
रोम रोम में प्यार... 7. योग बना पावन दीक्षा का, कालू गणपति की शिक्षा का
तुलसी का उपकार... 8. अद्भुत आस्था अनुशासन में, सुरभित जीवन गण उपवन में
सदा सुखद व्यवहार... 9. मालूजी का योग शिवंकर, और सुप्रभा आदि शुभंकर
जागृत शुभ संस्कार... 10. यह शरीर है केवल नौका, यह विदेह साधन का मौका
आत्मा ही बस सार... 11. मेरी उन्नति और प्रगति में, रही सहायक मति सम्मति में
महाप्रज्ञ आभार...
लय : धर्म की जय हो जय ... संदर्भ : संसारपक्षीय मां साध्वी बालूजी की तीसवीं वार्षिक पुण्य तिथि बीदासर, श्रावण कृष्णा अमावस्या (वि.सं. 2058) 20 जुलाई, 2001
चैत्य पुरुष जग
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