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प्रभु को सपना आया जी । सपना आया, मन हरसाया, गीत प्रगति का गाया । तेरापथ के उन्नति रथ को, यश के शिखर चढ़ाया । ।
1. संध्या की वेला में प्रभु ने सहसा मुझे बुलाया । जैनागम क्यों आज उपेक्षित किसने दीप जलाया ? प्रभु को सपना आया जी....
2. बने भगीरथ सुर सरिता का सलिल धरा पर आया । निर्मल आभा निरख - निरख कर जन-मानस ललचाया ।। प्रभु को सपना आया जी....
3. अर्द्ध रात्रि में मुनि ने योगक्षेम वर्ष के
तरु
5. अर्द्ध रात्रि में मुनि ने कैसे हो आध्यात्मिक
4. तुम तो हो निश्चिंत नींद में, नींद न मैं ले पाया । भारी-भरकम भार उठाया कैसे यह बिसराया । । प्रभु को सपना आया जी...
आकर सहसा मुझे जगाया। की कैसी होगी छाया ? ।।
प्रभु को सपना आया जी....
चैत्यपुरुष जग जाए
6. भाग्य और पुरुषार्थ योग से स्वप्न सत्य सरसाया। दिन में जागृत सपना लेना प्रभु ने हमें सिखाया । ।
प्रभु को सपना आया जी...
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आकर सहसा मुझे जगाया। यात्रा चिन्तन-मंत्र बताया । । प्रभु को सपना आया जी...
7. तुलसी और विकास
एक बन अंतस में गहराया । 'महाप्रज्ञ' युग की धारा ने कायाकल्प कराया । ।
प्रभु को सपना आया जी...
लय: म्हानै चाकर राखोजी......
संदर्भ : विकास महोत्सव दिल्ली, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2056
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