SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (29) प्रभु को सपना आया जी । सपना आया, मन हरसाया, गीत प्रगति का गाया । तेरापथ के उन्नति रथ को, यश के शिखर चढ़ाया । । 1. संध्या की वेला में प्रभु ने सहसा मुझे बुलाया । जैनागम क्यों आज उपेक्षित किसने दीप जलाया ? प्रभु को सपना आया जी.... 2. बने भगीरथ सुर सरिता का सलिल धरा पर आया । निर्मल आभा निरख - निरख कर जन-मानस ललचाया ।। प्रभु को सपना आया जी.... 3. अर्द्ध रात्रि में मुनि ने योगक्षेम वर्ष के तरु 5. अर्द्ध रात्रि में मुनि ने कैसे हो आध्यात्मिक 4. तुम तो हो निश्चिंत नींद में, नींद न मैं ले पाया । भारी-भरकम भार उठाया कैसे यह बिसराया । । प्रभु को सपना आया जी... आकर सहसा मुझे जगाया। की कैसी होगी छाया ? ।। प्रभु को सपना आया जी.... चैत्यपुरुष जग जाए 6. भाग्य और पुरुषार्थ योग से स्वप्न सत्य सरसाया। दिन में जागृत सपना लेना प्रभु ने हमें सिखाया । । प्रभु को सपना आया जी... Jain Education International आकर सहसा मुझे जगाया। यात्रा चिन्तन-मंत्र बताया । । प्रभु को सपना आया जी... 7. तुलसी और विकास एक बन अंतस में गहराया । 'महाप्रज्ञ' युग की धारा ने कायाकल्प कराया । । प्रभु को सपना आया जी... लय: म्हानै चाकर राखोजी...... संदर्भ : विकास महोत्सव दिल्ली, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2056 For Private & Personal Use Only 35 www.jainelibrary.org
SR No.003114
Book TitleChaitya Purush Jag Jaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherSarvottam Sahitya Samsthan Udaipur
Publication Year2003
Total Pages58
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy