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(28) युग दर्शन के व्याख्याता युग का उपहार लो। बदले चिन्तन की धारा वैसा संस्कार दो।।
1. गुरुदेव जरूरत अति है, युग को अहिंसा की।
हिंसा की जटिल समस्या, कैसे उपचार हो।। बदले..... 2. गुरुदेव जरूरत अति है, युग को विसर्जन की।
संग्रह की जटिल समस्या, कैसे उद्धार हो।। बदले.... 3. गुरुदेव जरूरत अति है, युग को समर्पण की।
परमार्थ दृष्टि का सपना, कैसे साकार हो।। बदले..... 4. गुरुदेव जरूरत अति है, युग को समन्वय की।।
सापेक्षवाद का शासन, युग का आचार हो।। बदले.... 5. गुरुदेव जरूरत अति है, युग को नियोजन की।
यह नव्य विकास महोत्सव, युग का आधार हो।। बदले..... 6. गुरुदेव जरूरत अति है, निर्मल व्यवहार की।
प्रामाणिक जीवन शैली, युग का उपकार हो ।। बदले..... 7. संकल्प एक है सबका, गुरुवाणी अमर बने। अब 'महाप्रज्ञ' तुलसी का, पुनरपि अवतार हो।। बदले.....
लय : प्रभु पार्श्व देव चरणों में.....
संदर्भ : विकास महोत्सव सरदारशहर, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2055
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चैत्य पुरुष जग जाए
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