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9. शिक्षापूर्वक दीक्षा हो, यह नई कल्पना आई, शिक्षण संस्था में जन-जन ने, देखी है गहराई।
भिक्षु स्वामी का अंतिम शब्द निहारा।। 10. नए मोड़ से नवयुग आया, जाग उठी तब नारी, युगद्रष्टा के प्रति आभारी, रहती जनता सारी।
युग परिवर्तन का कोई नया इशारा ।। 11. नए तीर्थ का किया प्रवर्तन, समण श्रेणी कल्याणी, आगम-संपादन से मुखरित, महावीर की वाणी।
शाश्वत सत्यों को आस्था सहित उभारा।। 12. यात्रा की है अकथ कहानी, इक मुख कौन कहेगा? अनगिन हैं अवदान महाप्रभु, केवल गम्य रहेगा।
शासन सुषमा में तुलसी सबको प्यारा।। 13. किया विसर्जन अपने पद का, शासन सुदृढ़ बनाया, छोड़ अचानक चले गए प्रभु, यह तो नहीं सुहाया।
किया समाहित है 'महाप्रज्ञ' में सारा।।
लय : कुंथु जिनवर रे.....
संदर्भ : विकास महोत्सव गंगाशहर, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2054
पुरुष जग जाए9999999999
999993333
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