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________________ (26) दो वही आकाश, जिसका प्राण तत्त्व विकास है। दो वही आकाश, जिसमें प्रगति का उच्छ्वास है ।। 1. सफलता का सूत्र पहला, प्रबल आस्था तंत्र है, फलित अनुशासन उसी का, शक्तिशाली मंत्र है सिद्ध होगा साध्य निश्चित, सिद्धि में विश्वास है । । I 2. सफलता का सूत्र दूजा, प्रवर सम्यग् वृष्टि से खेती निपजती, कल्पना से वह विधायक मनन देता, स्वर्ग का 3. सफलता का सूत्र उज्ज्वल, तीसरा स्वाध्याय है, नयन - युग को खोलने का, जो प्रथम अध्याय है । ज्ञात से अज्ञात अब तक, कर रहा उपहास है ।। 4. सफलता का सूत्र चौथा, ध्यान का सत्य का अनुवाद निज, व्यक्तित्व की धर्म अनुभव में उतर कर, दे रहा 5. सफलता का सूत्र पंचम, मानसिक हो रहा है प्राप्त गुरु का, आर्य तुलसी की प्रभा का चैत्य पुरुष जग जाए Jain Education International दृष्टि है, सृष्टि है आभास है ।। आह्लाद है, कुशल आशीर्वाद है अलग ही इतिहास है ।। I संधान है, पहचान है । आश्वास है । । For Private & Personal Use Only लय: प्रेम से बोलें कि प्यारे ! संदर्भ : विकास महोत्सव लाडनूं, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2053 31 www.jainelibrary.org
SR No.003114
Book TitleChaitya Purush Jag Jaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherSarvottam Sahitya Samsthan Udaipur
Publication Year2003
Total Pages58
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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