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बदले जीवन का आधार, बदले मानव का व्यवहार।
ऐसा मंत्र बताओ हे, ऐसा यंत्र बनाओ हे.......।। 1. आज हो रहा भौतिक जग में, सीमातीत विकास।
किन्तु ले रहा धार्मिक जग तो, रूढिवाद का श्वास।
दोनों ओर समस्या घोर, कैसे पकड़ें उसका छोर।। ऐसा... 2. वैज्ञानिक जग खोल रहा है, बन्द सत्य के द्वार।
धार्मिक जग में बन्द पड़े हैं, सत्य बोध के द्वार। कैसे हो दोनों का साथ, कैसे मिल पाए दो हाथ।। ऐसा... 3. नई कल्पना, नई योजना, अभिनव अनुसंधान ।
अंतरिक्ष में नगर बसेगा, नए-नए अभियान ।
संहारक शस्त्रों की होड़, कैसी अजब-गजब घुड़-दौड़।। ऐसा... 4. जीवन का आधार बना है, केवल आर्थिक तंत्र ।
नाग पाश के इस बन्धन से, सारा जग परतंत्र ।
कैसे मुक्त बने आकाश, जागे अपने में विश्वास।। ऐसा... 5. हो विकास की निश्चित सीमा, निश्चित उसका क्षेत्र ।
सीमा के सापेक्ष सत्य से, खुले तीसरा नेत्र।
दोनों का संतुलित विकास, देगा जीवन को आश्वास।। ऐसा... 6. मानवता के शुभ भविष्य का, यह पहला अध्याय।
एक साथ धार्मिक-वैज्ञानिक, बैठ करें व्यवसाय। प्राणी-हित का पहला स्थान, युग का सर्वोत्तम आह्वान।। ऐसा... 7. दीर्घकाल से देव! तुम्हारा, गण को मिला प्रसाद ।
बने विकास महोत्सव इसका, गरिमामय अनुवाद । हो अब समाधान स्याद्वाद, 'महाप्रज्ञ' मन में आह्लाद।। ऐसा...
लय : नीले घोड़े रा असवार...
संदर्भ : विकास महोत्सव लाडनूं, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2052
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चै
त्य पुरुष जग जाए
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