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________________ की भी कम प्रसन्नता नहीं हुई कि इसने आत्म-हत्या के विचार की अपनी कमजोरी भी ऋजुता के साथ यथारूप बता दी। मैंने उसे समझाया-'आत्महत्या करना कमजोरी है, भयंकर पाप है। यह किसी समस्या का समाधान नहीं है। फिर समस्या और मुसीबत किसके समक्ष नहीं आती? पाप के पीछे पुण्य का और पुण्य के पीछे पाप का चक्र चलता रहता है। जब कोई स्थिति अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है, तब समझना चाहिए कि उसका अवसान दूर नहीं है। इसलिए सन्मार्ग पर चलनेवाले को कभी घबराना नहीं चाहिए, अपना मन अधीर और कमजोर नहीं बनाना चाहिए। कर्तव्य से च्युत होकर गलत निर्णय नहीं करना चाहिए।' यह कर्तव्य-पालन की बात किसी व्यक्तिविशेष के लिए नहीं, अपितु सभी के लिए महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। इस परिप्रेक्ष्य में हर व्यक्ति अपना आत्म-निरीक्षण करे, अपने-आपको टटोले कि मैं अपने कर्तव्यपालन के प्रति कितना सजग हूं। मैं समझता हूं कि यदि व्यापक रूप में यह वृत्ति पनप जाए तो बहुत-सी समस्याएं पैदा ही न हों। मेरे समक्ष बड़ी संख्या में मिल-मजदूर बैठे हैं। यदि मिलमालिक और मजदूर दोनों ही अपने-अपने कर्तव्य का ध्यान रखें तो परस्पर संघर्ष की स्थिति क्यों बने? पर कठिनाई यह है कि मिलमालिक तो चाहते हैं कि मजदूर लोग काम ज्यादा करें और दाम कम लगे तथा मजदूर लोगों की वृत्ति यह है कि काम कम करना पड़े और दाम अधिक मिले। जब लोगों की मनोवृत्ति बिगड़ जाती है, नीयत खराब हो जाती है तो उसका परिणााम भी वैसा ही आता है। नीयत के अनुरूप परिणाम सेठ ने भवन बनाने का निर्णय किया। काम शुरू हो गया। नींव खोदी जाने लगी। सहसा नींव खोदनेवाले मजदूर को जमीन में एक कलश प्राप्त हुआ। उसने साश्चर्य उसे देखा। वह गिन्नियों से भरा था। उसने सोचा कि यह पराया धन है। मैं इसे नहीं ले सकता। उसने तत्काल कारीगर को सूचित किया। कारीगर बोला-'यह धन सेठ की जमीन से निकला है, इसलिए इस पर उसी का अधिकार है। मुझसे इसका कोई संबंध नहीं।' सेठ को सूचित किया गया तो वह बोला-'ठीक है, जमीन मेरी है, पर इस जमीन के वास्तविक मालिक तो राजाजी हैं। कर्तव्य-पालन के प्रति सजग बनें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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