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________________ ३१ : कर्तव्य-पालन के प्रति सजग बनें मेरी चिंता राष्ट्र की वर्तमान स्थिति देखकर नेतृ-वर्ग चिंतित है। उसकी चिंता का कारण यह है कि राष्ट्र की आबादी जिस तेजी के साथ बढ़ रही है, उस अनुपात में खाद्य पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि नहीं हो रही है। वह चाहता है कि जैसे-तैसे आबादी का बढ़ना रुके। मेरी चिंता यह है कि मानव तो बढ़ रहे हैं, पर मानवता नहीं बढ़ रही है, बल्कि घट रही है। मानवता का ह्रास कैसे रुके, उसका विकास कैसे हो, इस बिंदु पर सभी को गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। कर्तव्य-बोध जागे मेरी दृष्टि में इस समस्या का समाधान यही है कि व्यक्ति-व्यक्ति में कर्तव्य-बोध जागे और वह उसके पालन के प्रति सजग बने। जब तक यह स्थिति नहीं बनती, तब तक उसके उन्मार्ग में पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। एक भाई अपनी जीवन-कथा सुना रहा था। उसने बताया-'मैं पाकिस्तान में काम करता हूं। मुझे पचहत्तर रुपए मासिक वेतन मिलता है। मेरे आठ बच्चे हैं। दो हम पति-पत्नी हैं। एक बड़ा भाई है। वह अचक्षु है। समस्या यह है कि मैं एक कमाता हूं और ग्यारह प्राणी खानेवाले हैं। इतनी कम आय से घर का खर्च चलता नहीं। जीवन में रिश्वत कभी मैंने ली नहीं। सोचा कि यदि थोड़ी-बहुत रिश्वत ले भी लूंगा तो भी मुसीबत तो समाप्त होगी नहीं, वह तो वैसे ही बनी रहेगी, फिर अपनी मानवता क्यों बेचूं, पर इस स्थायी मुसीबत से घबराकर कभी-कभी आत्म-हत्या करने का विचार मन में अवश्य आता है।' उसे सुनकर मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई कि कठिन परिस्थिति से घिरा होने के बावजूद इसके मन में मानवता के प्रति सम्मान की भावना है। जैसे-तैसे भी यह उसकी सुरक्षा करना चाहता है। इस बात .७२ - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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