________________
के बादल मंडराए हुए हैं। ऐसी स्थिति में आत्मा, परमात्मा, स्वर्ग, नरक, सृष्टि, प्रलय आदि की गंभीर दर्शानिक चर्चा एक बार छोड़कर मानवमानव इस बात पर चिंतन करे, आत्मालोचन करे कि मैं वास्तव में मानव हूं या नहीं। निश्चय में मानव वही है, जिसमें मानवता की गुणात्मकता सुरक्षित हो; सत्य, शील, संतोष अहिंसा-जैसे मानवोचित गुण विद्यमान हो। मुझे ऐसा प्रतिभासित होता है कि मानव-समाज में मानवोचित गुणों का तेजी से ह्रास हो रहा है। उसी की यह दुष्परिणति है कि चारों ओर भ्रष्टाचार, अनैतिकता का बोलबाला हो रहा है। यदि इस स्थिति से उबरना है तो हमें मानवोचित गुणों का ह्रास रोकना होगा, जन-जन में मानवता की प्रतिष्ठा करनी होगी। अणुव्रत-आंदोलन मानवता का आंदोलन है। यह मानवोचित गुणों के विकास के द्वारा समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनैतिकता आदि विकृतियां दूर करना चाहता है। इसकी बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी धर्मविशेष को महत्त्व नहीं दिया गया है, बल्कि सभी धर्मों के मौलिक आदर्श सम्मिलित किए गए हैं। यही कारण है कि किसी धर्म से संबद्ध व्यक्ति को इसके साथ जुड़ने में कोई कठिनाई नहीं होती। आप लोग भी इसकी आचार-संहिता संकल्पपूर्वक स्वीकार करें। इससे आपकी मानवता सुरक्षित हो सकेगी, आप मानव कहलाने के सच्चे अधिकारी बन सकेंगे, आपका जीवन सहज धार्मिक बन सकेगा।
वर्धमान २ मार्च १९५९
धार्मिक कौन
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org