SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जो महान लक्ष्य उसके सामने है, उसे प्राप्त करने में वह तन्मय बना रहे। उसका जीवन संयमोन्मुख बने, पर मुझे सखेद कहना पड़ता है कि आज का विद्यार्थी संयम की बात उपेक्षित और विस्मृत कर रहा है। उसके व्यवहार में संयम नहीं, कर्म में संयम नहीं, दृष्टि में संयम नहीं। छात्राओं को बुरी दृष्टि से देखना, उन्हें अश्लील शब्द कहना और छेड़-छाड़ करनाजैसी आम शिकायतें आज सुनने को मिलती हैं। छात्रों के लिए यह कहां तक शोभास्पद है, यह वे स्वयं अच्छी तरह से समझ सकते हैं। मैं उनसे बलपूर्वक कहना चाहूंगा कि वे इन दुष्प्रवृत्तियों से सलक्ष्य बचें। यह पतन का मार्ग है। वे भूलें नहीं कि छात्र-छात्राओं में तो परस्पर भाई-बहन का पवित्र संबंध है। इसकी उपेक्षा कर अनुचित व्यवहार करना बहुत भयंकर पाप है। स्वस्थ समाज निर्माण के उद्देश्य से हमने अणुव्रत-आंदोलन के नाम से एक व्यापक अभियान चला रखा है। इस अभियान के माध्यम से हम समाज के छोटे-बड़े सभी वर्गों को उनमें व्याप्त बुराइयों व विकृतियों से मुक्त करना चाहते हैं। विद्यार्थी-वर्ग के लिए भी उसमें पांच संकल्प रखे गए हैं। वे संकल्प स्वीकार कर विद्यार्थी अपने जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। वे पांच संकल्प निम्नांकित हैं१. मैं अवैधानिक तरीकों से परीक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रयास नहीं करूंगा। २. मैं तोड़-फोड़मूलक हिंसात्मक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा। ३. मैं विवाहादि के प्रसंग में रुपए आदि लेने का ठहराव नहीं करूंगा ४. मैं धूम्रपान व मद्यपान नहीं करूंगा। ५. मैं रेलादि से बिना टिकट यात्रा नहीं करूंगा मैं आशा करता हूं कि विद्यार्थी उपर्युक्त संकल्पों की उपयोगिता समझेंगे और इन्हें हृदय से स्वीकार करेंगे। सैंथिया १० फरवरी १९५९ छात्र-छात्राओं की जीवन-दिशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy