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से भर जाता है, आनंद से आप्लावित हो जाता है, शांति से ओतप्रोत हो जाता है। आप भी अंतर्दृष्टि बनें, अपनी अंतर्दृष्टि जाग्रत करें। निश्चय ही आप अनिर्वचनीय सुख की अनुभूति करेंगे, जीवन की धन्यता महसूस करेंगे।
अभ्रक गोदाम २६ जनवरी १९५९
ज्योति जले : मुक्ति मिले
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