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२२ : गणतंत्र-दिवस
आज गणतंत्र-दिवस है। भारतवर्ष के नागरिकों के लिए यह एक राष्ट्रीय महत्त्व का दिवस है, राष्ट्रीय पर्व-दिवस है। इसलिए इस दिन राष्ट्रवासी खुशियां मनाते हैं, उत्सव मनाते हैं। अन्यान्य राष्ट्रों के लोग आज के दिन के उपलक्ष्य में भारतीय लोगों को अपनी शुभ कामनाएं प्रेषित करते हैं।
मैं खुशियां और उत्सव मनाने से लोगों को नहीं रोकता, पर इतना अवश्य कहना चाहता हूं कि आज का दिन वे यहीं तक ही सीमित न रखें। वे आत्म-निरीक्षण करें। मेरी दृष्टि में यह सर्वाधिक जरूरी बात है। आज भारतवर्ष की जो स्थिति है, वह उसकी गरिमा के अनुरूप नहीं है। भारत के नागरिक मानवता की राह छोड़कर न जाने उज्जड़ में कहां-कहां भटक रहे हैं। उनके जीवन से नैतिकता, प्रामाणिकता, ईमानदारी-जैसे आवश्यक मानवीय गुण लुप्त होते जा रहे हैं। उनका चारित्रिक बल इतना क्षीण हो गया है कि छोटे-से-छोटे स्वार्थ के लिए वे गलत-से-गलत आचरण करते भी नहीं सकुचाते, अन्यथा मिलावट मत करो, तौल-माप में कमी-बेशी मत करो, बिना टिकट रेलादि से यात्रा मत करो, दहेज के लिए ठहराव मत करो, वोटों की खरीद-बिक्री मत करो-जैसी छोटी-छोटी बातों के उपदेश की कोई जरूरत नहीं पड़ती। मैं राष्ट्र के नागरिकों को उदिष्ट कर कहना चाहूंगा कि इस राष्ट्रीय पर्व के उपलक्ष्य में वे प्रतिज्ञाबद्ध हों कि हम मिलावट, विश्वासघात, धोखाधड़ी, रिश्वत-जैसी प्रवृत्तियों से दूर रहेंगे। मानवीय और चारित्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित रहेंगे। अपने किसी आचरण और व्यवहार से राष्ट्रीय चरित्र को क्षति नहीं पहुंचाएंगे। इसी से उनके विकास का सही मार्ग प्रशस्त हो सकेगा, समाज और समग्र राष्ट्र के विकास की सही दिशा का उद्घाटन हो सकेगा, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का सही निर्माण हो सकेगा। हम अणुव्रत-आंदोलन के माध्यम से
गणतंत्र-दिवस
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