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________________ २० : महावीर के उपदेश जीवन में उतारें आज हम क्षत्रियकुंड पहुंचे हैं। यह एक प्रसिद्ध क्षेत्र है। यद्यपि नाम के आधार पर यह भगवान महावीर का जन्मस्थल प्रतीत होता है, तथापि इस संदर्भ में निर्णायक रूप में कुछ भी कहा जाना संभव नहीं है, क्योंकि इस बिंदु पर लोगों में मतैक्य नहीं है। जहां एक ओर परंपरा इसे भगवान महावीर के जन्म-स्थल के रूप में ऐतिहासिक महत्त्व प्रदान करती है, तत्कालीन कुमारग्राम से वर्तमान कुमारग्राम का संबंध जोड़ा जाता है, वहीं दूसरी ओर अनेक इतिहासकार इससे अपनी असहमति प्रकट करते है। वे इसकी जगह वैशाली को भगवान महावीर का जन्म-स्थान मानते हैं। इस संदर्भ में मेरा व्यक्तिगत चिंतन यह है कि यह एक शोध का विषय है। पूरे शोध के पश्चात ही किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है। इसी प्रकार बिहार प्रदेश में और भी अनेक ऐसे स्थल हैं, जिनके साथ भगवान महावीर के जीवन से संबद्ध घटनाएं जुड़ी हुई हैं, पर अमुक स्थान से अमुक घटना संबद्ध है, यह स्पष्ट निर्णय करने के लिए, जैसा कि मैंने कहा, शोध अपेक्षित है। उसके बिना किसी स्थान के इतिहास की प्रामाणिकता असंदिग्ध नहीं होती। बावजूद इसके, इतना तो स्पष्ट है कि वे पहाड़, वे चट्टानें, वे पुढ़वी-शिला पट्ट, जिनका कि शास्त्रों में स्थान-स्थान पर उल्लेख है, सहस्रों वर्ष पुराने हैं। उनका अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। ऐसे स्थानों में पहुंचकर, प्रवास कर मेरा चित्त अतिरिक्त प्रसन्नता की अनुभूति करता है। भगवान महावीर से संबद्ध स्थलों का भी जब ऐतिहासिक महत्त्व है तब उनके उपदेशों, सिद्धांतों और विचारों के महत्त्व की तो बात ही क्या! वे तो व्यक्ति के लिए त्राण हैं, शरण हैं, गति हैं। बहुत सही तो यह है कि उनका महत्त्व है, तभी उनके स्थलों का ऐतिहासिक महत्त्व है। हम उनके उपदेशों, सिद्धांतों और विचारों का स्मरण करें, उन्हें अपने जीवन में उतारें, यही श्रेय-पथ है। इस श्रेय-पथ पर हम बढ़ते चलें, हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा। क्षत्रियकुंड, २३ जनवरी १९५९ .५० - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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