SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चाहिए, ताकि धार्मिक सद्भाव और एकता का वातावरण निर्मित हो । वे पांच सूत्र हैं १. मंडनात्मक नीति बरती जाए। अपनी मान्यता का प्रतिपादन किया जाए। दूसरों पर मौखिक या लिखित आक्षेप न किया जाए। २. दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णुता रखी जाए। ३. दूसरे संप्रदाय के साधु-साध्वियों के प्रति घृणा और तिरस्कार की भावना का प्रचार न किया जाए । ४. संप्रदाय - परिवर्तन के लिए दबाव न डाला जाए । स्वेच्छा से कोई व्यक्ति संप्रदाय - परिवर्तन करे तो उसके साथ सामाजिक बहिष्कार आदि के रूप में अवांछनीय व्यवहार न किया जाए । ५. धर्म के सर्वसंप्रदायमान्य सिद्धांतों का संगठित रूप में प्रचार किया जाए। अपेक्षा है, सभी धर्मावलंबी इन पांचों सूत्रों को अपने पारस्परिक व्यवहार की मर्यादाएं बनाएं। इससे धार्मिक जगत में एक स्वस्थ वातावरण निर्मित होगा । धर्म का स्वरूप Jain Education International For Private & Personal Use Only ३७० www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy