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धर्मग्रंथों में समान मूल्य दिया गया है। इन तत्त्वों की शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाएगी, तभी उनमें मानवीय गुणों का सम्यक विकास हो सकेगा। यह विकास ही उच्छंखलता, अनुशासनहीनता-जैसी अनेक समस्याओं का समाधान है। कहना नहीं होगा कि इन समस्याओं के कारण आज का विद्यार्थी-वर्ग स्वयं समस्या बन रहा है। मैं आशा करता हूं, शिक्षाधिकारी मेरी भावना समझेंगे और शिक्षा प्रणाली को सही स्वरूप प्रदान करने की दिशा में कोई सार्थक प्रयत्न प्रारंभ करेंगे। राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की दृष्टि से यह उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा।
ह्वीलर सीनलेट हॉल, पटना १० जनवरी १९५९
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ज्योति जले : मुक्ति मिले
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