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________________ जाए, इसे मैं उचित नहीं मानता। उसका उपयोग तो आत्म-शोधन के लिए ही होना चाहिए। दूसरी बात यह उनके जीवन का निर्माण-काल है। इस अपेक्षा से इसे स्वर्णिमकाल भी कहा जा सकता है। विद्यार्थी इसका अच्छा-सेअच्छा उपयोग करें। अच्छा-से-अच्छा उपयोग करने से मेरा आशय है कि वे अपना यह काल सद्गुण बटोरने में लगाएं। इसे विनय, अनुशासन, सत्यनिष्ठा, अहिंसा, समत्व, सहिष्णुता आदि शाश्वत मूल्यों से जीवन को सुसंस्कारित करने में लगाएं। यदि वे ऐसा करेंगे तो मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह विद्यार्थी-जीवन उनके लिए वरदान सिद्ध होगा। आशा करता हूं, विद्यार्थी मेरी बातों पर गंभीरतापूर्वक चिंतन कर अपना जीवन सही दिशा में मोड़ेंगे। पटना मेडिकल कॉलेज, पटना ९ जनवरी १९५९ .२२ - ज्योति जले : मुक्ति मिले For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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