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________________ अणु की शक्ति से कौन अपरिचित है ? विद्यार्थी वर्ग के लिए इसमें निम्नांकित पांच संकल्प हैं • मैं परीक्षा में अवैधानिक तरीकों से उत्तीर्ण होने का प्रयत्न नहीं करूंगा। • मैं तोड़फोड़मूलक हिंसात्मक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा । • मैं विवाहादि के प्रसंग में रुपए आदि लेने का ठहराव नहीं करूंगा। • मैं धूम्रपान व मद्यपान नहीं करूंगा। • मैं रेलादि से बिना टिकट यात्रा नहीं करूंगा। विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे इन संकल्पों की मूल भावना आत्मसात करके इन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। इससे उनके विकास का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जाएगा। शिक्षाधिकारियों से अपेक्षा मेरे समक्ष शिक्षाधिकारी भी उपस्थित हैं। उन्हें यह बात गंभीरता से समझने की अपेक्षा है कि आज के विद्यार्थी समाज और राष्ट्र के भावी नेता और कर्णधार हैं। मेरी दृष्टि में विद्यार्थी वर्ग समाज और राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी है, पर यह कितने खेद की बात है कि समाज और राष्ट्र के वर्तमान नेताओं और अधिकारियों की निगाह अन्यान्य पूंजियों के विकास की ओर लगी है। वे इस पूंजी के संरक्षण एवं विकास के प्रति उपेक्षा का भाव अपनाए हुए हैं। यदि वे इस पूंजी का यथार्थपरक मूल्यांकन करते तो आज शिक्षा जगत की स्थिति कुछ भिन्न ही होती । हालांकि आज शिक्षण संस्थानों की कोई कमी नहीं है, स्थान-स्थान पर नए-नए शिक्षण-संस्थान और खुल रहे हैं, पर मूलभूत प्रश्न तो यह है कि इनसे शिक्षा का वास्तविक लक्ष्य कहां तक पूरा हो रहा है। जैसा कि मैंने प्रारंभ में ही कहा था, शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य जीवन-निर्माण है । यह एक कटु सचाई है कि आज की शिक्षा इस उद्देश्य की पूर्ति करने में निरुपाय और अक्षम-सी है। मैं शिक्षाधिकारियों से बलपूर्वक कहना चाहूंगा कि वे अपने उत्तरदायित्व के प्रति गंभीर बनते हुए राष्ट्र की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पूंजी के संरक्षण एवं संवर्धन पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें। सुचिंतित रूप से शिक्षा प्रणाली को इस रूप में ढालें कि वह अपने मूलभूत उद्देश्य के अनुरूप परिणाम दे सके। मैं आशा करता हूं कि शिक्षाधिकारी इस बिंदु पर गहराई से सोचेंगे और अपनी कार्यशैली बदलेंगे। इससे वे समाज और राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा कर सकेंगे । ह्वीलर सीनेट हॉल, पटना, ८ जनवरी १९५९ १४ Jain Education International For Private & Personal Use Only ज्योति जले : मुक्ति मिले www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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