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है। वह व्यापक स्तर पर रचनात्मक कार्य करना चाहता है। मैं युवकों से कहना चाहता हूं कि वे विध्वंसात्मक प्रथम प्रकार का सुधार छोड़कर सृजनात्मक दूसरे प्रकार के सुधार को अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए स्व-सुधार करें, आदर्श नागरिक बनें। मेरी दृष्टि में यही सबसे बड़ा निर्माण है। यही सबसे बड़ी क्रांति है और यही वास्तविक सुधार है।
स्व-सुधार से मेरा तात्पर्य युवक समझते ही होंगे। स्वयं का चरित्रनिर्माण करना इसका अभिधेय है। स्वयं के चरित्र-निर्माण की ओर से बेखबर रहनेवाले युवक दूसरों का निर्माण एवं सुधार कैसे कर सकेंगे? यह शुभ शुरुआत उन्हें स्वयं से ही करनी होगी। युवक इस बिंदु पर गंभीरतापूर्वक सोचें।
- ज्योति जले : मुक्ति मिले
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