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में अपने लिए भय का वातावरण तैयार कर रहे हैं। जो आज दूसरों को भयभीत कर सकता है, वह कल उसे भी भयभीत कर सकता है, जिसे अपना मानता है। बुराई की सीख देनेवाला स्वयं उसके परिणामों से बच नहीं सकता। आज मनुष्य-जाति के पास प्रलय की प्रचुर सामग्री है। इसके निरोध का एकमात्र विकल्प अब मैत्री ही है। ___अणुव्रत-आंदोलन अहिंसा का आंदोलन है। अहिंसा, अभय और विश्वास-तीनों मैत्री के बिना टिक नहीं सकते। अहिंसा के बिना मानव की सभ्यता और संस्कृति का विनाश निश्चित है। राजनीति का क्षेत्र आज सर्वाधिक प्रभावशाली है, पर वह स्वयं आतंकित है और दूसरेदूसरे क्षेत्रों को आतंकित किए हुए है। आवेग की प्रवृत्ति अधिक है। संयम न शासक-वर्ग में है और न जनता में। एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर सहसा आक्रमण करने की स्थिति में भी नहीं है और अनाक्रमण की वृत्ति भी नहीं है। प्रत्यक्ष युद्ध नहीं हो रहा है और शीत युद्ध घट भी नहीं रहा है। यह सब एक-दूसरे को निकटता से न समझने का परिणाम है। जैसेजैसे क्षेत्रीय दूरी घटी है, वैसे-वैसे हृदय की दूरी बढ़ी है। अपेक्षा है, दुनिया के राजनयिक एक-दूसरे को समझने का प्रयास करें। स्वार्थ की सीमा विस्तृत न करें। अपने-अपने विचार प्रसारित करने का व्यामोह न रखें। आज सभी चिंतनशील व्यक्तियों का यह परम धर्म है कि वे मैत्री के साधन पुष्ट करें।
हम सबका यही संकल्प हो कि• व्यक्ति-व्यक्ति में मैत्री हो। • राष्ट्र-राष्ट्र में मैत्री हो। • सबमें मैत्री हो। • हम सबको मित्र की दृष्टि से देखें। • सब लोग हमें मित्र की दृष्टि से देखें।
मैत्री के साधन पुष्ट हों
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