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प्रयोग चल रहा है। सह-अस्तित्व और क्या है? सह-अस्तित्व के बिना मनुष्य जी नहीं सकता। घर में दो सदस्य हैं। दोनों के विचार एक सरीखे नहीं हैं। विचार-भेद के कारण क्या वे घर में एक साथ नहीं रह सकते? क्या घर में एक ही व्यक्ति रहेगा ? पर हम देखते हैं कि एक ही घर में कई विचारधारावाले लोग साथ-साथ रहते हैं। इसका कारण सहअस्तित्व ही है। गहराई से देखा जाए तो सह-अस्तित्व वस्तुतः जीवन के हर पहलू में होता है, पर कठिनाई यह है कि लोग उसे समझ नहीं रहे हैं।
जड़ और चेतन दोनों परस्पर विरोधी तत्त्व हैं। वे शरीर और आत्मा के रूप में साथ-साथ रहते हैं। कभी परस्पर विरोध नहीं होता। प्रत्येक वस्तु में सादृश्य और असादृश्य दोनों धर्म रहते हैं। दो विरोधी तत्त्वों का साथ रहना ही सह-अस्तित्व है।
सह-अस्तित्व को कई राष्ट्रों ने अपनाया है। उन्होंने स्वीकार किया है कि हम विचार न मिलने पर भी दूसरों पर आक्रमण नहीं करेंगे। यह अहिंसा का ही रूप है।
अहिंसा का प्रयोग व्यक्ति, समाज और प्रांत में सफल बनता है, तब फिर राष्ट्र में सफल क्यों नहीं होगा ? आवश्यकता है, अहिंसा का व्यापक प्रसार हो। विश्व शांति का प्यासा है। प्रत्येक राष्ट्र अहिंसा का प्रयोग करे तो विश्व-शांति दूर नहीं है, ऐसा मेरा विश्वास है।
शांति : स्रोत और आधार
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