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________________ अणुव्रत-आंदोलन की चर्चा करता रहता हूं। इस आंदोलन से आपको भी परिचित होना है। यह कोई आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक या सांप्रदायिक आंदोलन नहीं है और न इसके पास लोगों को देने के लिए कोई भौतिक वस्तु ही है। कोई लेना ही चाहे तो यह उसे अणुव्रती का पद देता है और उसकी एवज में संयम का शुल्क लेता है। अणुव्रत-आंदोलन एक व्यापक क्रांति कर स्वस्थ समाज की संरचना करना चाहता है। इसकी प्रक्रिया के रूप में यह व्यक्ति-व्यक्ति को सुधार की दिशा में स्वयं शुभ शुरुआत करने की बात कहता है। इसकी दृष्टि है कि व्यक्ति स्वयं सुधरकर ही दूसरों के लिए प्रेरक बन सकता है, उन्हें सुधार सकता है। स्वयं सुधरे बिना दूसरों का सुधारने की बात करने की कोई सार्थकता नहीं है। अणुव्रत-आंदोलन लगभग एक दशक से निरंतर कार्य कर रहा है। जिस व्यापक स्तर पर इस आंदोलन को जन-समर्थन मिला है, वह इस बात की सूचना है कि यह एक समय की मांग है। राजनेता अपनी जीवन-धारा बदलें __ एक समय था, जब समाज में राजनीतिक लोगों का अच्छा प्रभाव था। लोग उनके प्रति गहरी आस्था रखते थे, उनकी बातों पर विश्वास करते थे। इसलिए उनके एक आह्वान पर वे मौत का आलिंगन करने तक की बात भी सहर्ष स्वीकार कर लेते थे, पर धीरे-धीरे उनकी कर्तृत्वशक्ति क्षीण होती चली गई। आज स्थिति यह बनी है कि उनकी वाणी लोगों के कानों तक तो अवश्य पहुंचती है, पर हृदय को नहीं छू पाती। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे अब संभलें। अपने जीवन को एक मोड़ दें। अपना आचरण सुधारें। कथनी और करनी की एकरूपता पर ध्यान केंद्रित करें। आत्मानुशासन का व्रत लें। अपना जीवन संयमय बनाएं। इससे जनता पर उनका सहज असर पड़ेगा। धार्मिक अनास्था क्यों ___ धार्मिक क्षेत्र की स्थिति भी तो अच्छी नहीं है। धर्म एवं धार्मिक नेताओं के प्रति लोगों में अश्रद्धा की भावना पैदा हो रही है। कुछ लोग इसका कारण बढ़ती बौद्धिकता तथा विज्ञान को बता सकते हैं, पर यह वास्तविकता नहीं है। वास्तविकता है-तथाकथित धर्माधिकारियों के गलत कारनामे। उन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा, शोषण और भ्रष्टाचार का खेल . ८ ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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