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की सही सार्थकता तभी है, जब व्यक्ति इसे अपने नियंत्रण में रखे, अनुशासित रखे। मन के वशीभूत होकर इसकी आज्ञा का पालन करना पतन का मार्ग है। समझदारी और विवेक का तकाजा यही है कि व्यक्ति पतन के मार्ग से बचता हुआ मनोनुशासन का पथ अपनाए।
मनोनुशासन का पथ अपनाएं
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