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अहिंसा-दिवस को एक प्रथा के रूप में न मनाया जाए, किंतु प्रतिवर्ष ऐसा प्रयत्न किया जाए, जिससे कि जन-साधारण को नया मार्ग सूझे, नया मोड़ मिले।
जो अणुव्रती हैं, अणुव्रत-आंदोलन के प्रति जिनकी सहानुभूति है, वे सब इस अग्रिम वर्ष में परंपराओं के कारण पड़नेवाला आर्थिक दबाव कम करने की बात जन-मानस में उतारें। मैं समझता हूं कि यह छोटासा प्रयत्न भी अहिंसा के विकास में बहुत सहायक हो सकेगा।
अहिंसा-दिवसका अभिप्रेत
- २८७.
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