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था। जीवन के उत्तरार्द्ध में उसे इस आविष्कार पर अत्यंत अनुताप हुआ। उसने कहा-'मैंने संसार में आकर क्या किया! मुझे ऐसा अनुमान नहीं था कि आगे चलकर मेरा यह आविष्कार संसार के लिए अभिशाप बन जाएगा।...' और इस दुःखात्मक संवेदना के साथ उसने प्राण त्याग दिए। ___अणुबम की विनाशकारी लीला संसार देख चुका है। कोई भी अपने राष्ट्र में ऐसा विनाश नहीं चाहता। इसलिए संसार के किसी कोने में एक छोटे-से राष्ट्र में भी इससे संबद्ध कोई घटना घटित होती है तो सभी राष्ट्र चौंक उठते हैं। एक राष्ट्र की घटना से सारा संसार प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से प्रभावित होता है। आशंकित हो उठते हैं कि न जाने कब क्या घटित हो जाए। इसलिए सर्वत्र भय और आतंक का वातावरण बना हुआ है।
उज्जयिनी में एक व्यक्ति अरघट्ट चला रहा था। संयोगवश माला कुएं में गिर पड़ी। वह अत्यंत व्यथित हुआ। उसकी व्यथा चेहरे पर उतर आई। उसे इस स्थिति में देख किसी ने पूछा-'भाई! क्या बात है? इतने व्यथित क्यों हो?' उसने कहा-माला पतिता। पर प्रश्नकर्ता गलत समझ गया। उसने समझा-मालव लोग यहां आ गए हैं। उसने सुन रखा था कि मालव जाति आक्रमणकारी और खूखार होती है। उसके मन में आकस्मिक रूप से भय बैठ गया और वह बिना कुछ स्पष्टीकरण लिए वहां से भाग खड़ा हुआ। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास, दूसरे व्यक्ति से तीसरे व्यक्ति के पास, तीसरे से चौथे व्यक्ति के पास इस क्रम से यह बात आगे से आगे पहुंचती हुई चारों ओर बात फैल गई-मालवाः पतिता। देखते-देखते सारी उज्जयिनी नगरी में आतंक छा गया। परिणामतः अनेक व्यक्तियों की भय के अतिरेक में अकाल मृत्यु हो गए। बहुत-से नगरी छोड़ कहीं अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर चले गए।
बंधुओ! ठीक यही दशा आज के मानव-समाज की बन रही है। जन-जन के मन में अणुबम का भय बैठ गया है। वैज्ञानिक संचार-साधनों के माध्यम से किसी घटना की सूचना आज कुछ ही समय में सारे संसार में पहुंच जाती है और भय बढ़ जाता है। प्रासंगिक तौर पर एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अणुबम विध्वंसकारी है, इसका अर्थ यह नहीं कि विज्ञान बुरा है। विज्ञान अपने-आपमें बहुत ऊंचा तत्त्व है। वह तो नए-नए सत्यों के उद्घाटन की प्रक्रिया है, पर आप जानते हैं
आज का युग और धर्म
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