________________
विशाल प्रवाह हमें दिखाई देता है, उसका मूल स्रोत उतना बड़ा नहीं है, जितना की मैदानी भाग में है। आज तेरापंथी समाज की थोड़ी-सी बहिनों द्वारा स्थापित यह संगठन अपने ध्येय के अनुसार नारी-जागरण का व्यापक कार्य करता हुआ ग्राम-ग्राम एवं नगर-नगर में चरित्र, सदाचार, नैतिकता, सत्य, प्रामाणिकता, ईमानदारी आदि की लौ जागाकर विश्व को प्रेरणा देने का प्रयास करेगा तो निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हो सकेगा। आशा करता हूं, महिलाएं अपने इस लक्ष्य की दिशा में सतत आगे बढ़ती रहेंगी।
कलकत्ता १३ नवबंर १९५९
महिलाएं अपनी शक्ति पहचानें
.२५७.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org