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________________ हो रहा है। अणुव्रती का जीवन एक प्रयोगशाला-जैसा होना चाहिए। नएनए प्रयोग ही कार्य को आगे बढ़ाते हैं। कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत है। कमी है-कार्य करनेवाले व्यक्तियों की। व्यक्तियों का निर्माण इसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। ऐसे व्यक्ति बहुत कम तैयार किए जा सके हैं, जो यह ज्योति सुदूर तक फैला सकें। व्यक्ति तब बनता है, जब उसका कोई निश्चित लक्ष्य हो, उसकी पूर्ति की तड़प हो और उसका आग्रह हो। रीति-रिवाज, आचार-व्यवहार और परंपराओं में संयम हो, सरलता हो, यह एक लक्ष्य है। इसकी पूर्ति की तड़प और आग्रह पैदा कर सकें तो व्यक्ति-निर्माण की दिशा में एक सफल प्रयत्न होगा। भावी संभावनाएं आंदोलन का दूसरा दशक अधिक संभावनाओं के साथ शुरू हो रहा है। विचार-पक्ष जो बना है, उसकी आचार में परिणति होगी, ऐसा विश्वास है। ऐसा न हो तो कोरे दार्शनिक सिद्धांतों से होना जाना भी क्या है! इस चातुर्मास में अणुव्रती समाज व्यवस्था के बारे में लंबा चिंतन चला है। कुछ निष्कर्ष भी सामने आए हैं। अणुव्रत समिति एक ऐसे शिक्षा-संस्थान की बात सोच रही है, जहां जनता को बौद्धिक और चारित्रिक दोनों प्रकार की शिक्षा मिले और जहां से अर्थनीति, राजनीति एवं समाज की परंपराओं को अहिंसात्मक पथ-दर्शन दिया जा सके। चरित्र-विकास के उपदेश प्रयोगात्मक शिक्षा के बिना पूर्ण सफल नहीं हो सकते। बंगाल की इस सुदीर्घ यात्रा के बाद लोगों तक भावना पहुंचाने का क्रम एक प्रकार से पूर्ण होता है। अब दूसरे क्रम पर अधिक ध्यान देना है। अणुव्रत-आंदोलन के कार्यकर्ता और उसके प्रशंसक इस पर गहराई से विचार करें। कलकत्ता १६ अक्टूबर १९५९ .२४८ ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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