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अणुव्रत-आंदोलन की चर्चा अभी आपके सामने आई। इस दिशा में यह आपका पथ-दर्शन करता है। यह जितना विद्यार्थियों के लिए उपयोगी और उपादेय है, उतना ही आप अध्यापकों के लिए भी। इसकी आचारसंहिता स्वीकार करके आप अपना जीवन सुसंस्कारित बना सकते हैं, जो कि विद्यार्थियों के लिए भी सुसंस्कारी बनने की प्रेरणा बनेगा। मुझे आशा है, विद्यार्थी और अध्यापक दोनों ही वर्ग इस बारे में गंभीरता से सोचेंगे और अपना जीवन सही दिशा में मोड़ेंगे।
एच. डी. जैन कॉलेज, आरा ३ जनवरी १९५९
अध्ययन और अध्यापन के प्रति सम्यक दृष्टिकोण बने
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