SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 266
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०१ : अणुव्रत-आंदोलन अपने ध्येय में सफल है* अणुव्रत-आंदोलन का प्रथम वार्षिक अधिवेशन भारतवर्ष की राजधानी दिल्ली में हुआ था और इसका दशम अधिवेशन दिनांक १६,१७ एवं १८ अक्टूबर को भारत के विशालतम नगर कलकत्ता में होने जा रहा है। इस अवधि यह आंदोलन प्रतिवर्ष पर्याप्त गति से आगे बढ़ता रहा है। प्रथम अधिवेशन में समग्र अणुव्रत-प्रतिज्ञाएं ग्रहण करनेवालों की संख्या जहां छह सौ इक्कीस थी, वहां इस अधिवेशन में वह संख्या पांच हजार के लगभग हो चली है। फिर वर्गीय नियम ग्रहण करनेवालों की संख्या तो सहस्रों में न रहकर लाखों में पहुंच गई है। इस अभियान के माध्यम से नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा तो कोटि-कोटि लोगों तक पहुंची है, यह तो बिलकुल स्पष्ट है ही। इस काल-अवधि में इस आंदोलन के अंतर्गत और भी अनेक नव-नव उन्मेष आते रहे हैं। मैं मानता हूं, अणुव्रत-आंदोलन एक विचार-क्रांति का अभियान है और वह अपने ध्येय की दिशा में आगे बढ़ने में पूर्ण सफल रहा है। आप देखें, आज समस्त देश में नैतिक जागरण की गूंज हो उठी है। हर क्षेत्र से लोग इस विषय पर बोलते हैं और नाना योजनाएं क्रियान्वित करने के लिए प्रस्तुत करते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति का ध्यान भी देश के विद्यार्थियों को नैतिक प्रशिक्षण देने की ओर गया है। नैतिक मूल्यों को स्थायित्व देने की दिशा में यह एक शुभ प्रयत्न माना जा सकता है। विद्यार्थियों में नैतिक संस्कार जगाने के लिए अणुव्रत-आंदोलन के अंतर्गत एक स्वतंत्र कार्यक्रम है और वह द्रुत गति से लाखों-लाखों विद्यार्थियों में आगे बढ़ रहा है। मैं आशा करता हूं, इस अधिवेशन से उस कार्यक्रम को और अधिक व्यवस्थित रूप देकर हम देश की एक बड़ी समस्या का समाधान करने में योगभूत हो सकेंगे। इस अधिवेशन से प्रारंभ होनेवाली त्रिवर्षीय अणुव्रत-योजना में कम-से-कम तीन *पत्रकार सम्मेलन में प्रदत्त वक्तव्य। • २४२ - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy