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करेंगे। सचमुच ही एक यह एक गंभीर चिंतनीय बात है।
इन स्थितियों को देखते हुए आचार-संहिता की आवश्यकता की बात और अधिक पुष्ट हो जाती है। साधुओं के लिए तो आचार-संहिता है ही। अपेक्षा है, उसके प्रति पूर्ण गंभीर रहते हुए उसका सम्यक पालन किया जाए। अब रही बात विधायकों की। उनके लिए अभी तक ऐसी कोई आचार-संहिता नहीं है। इस संदर्भ में गंभीरता से चिंतन-मनन कर एक ऐसी आचार-संहिता बननी चाहिए, जिसमें विधायकों के लिए आचारसंबंधी कुछ अनिवार्य नियम हो। अणुव्रत आचार-शुद्धि की दृष्टि से एक बनी-बनाई व्यावहारिक एवं संतुलित आचार-संहिता है।
कलकत्ता ३० सितंबर १९५९
विधायकों के लिए आचार-संहिता बने
.२३९.
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