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लोग नैतिक बनते हैं या नहीं। आप तो स्वयं से शुभ शुरुआत करें। संसार के नैतिक बनने या न बनने से आपके सुधार की कीमत किंचित भी कम नहीं होगी। सच्चरित्र का मूल्य शाश्वत है।
कलकत्ता ११ सितंबर १९५९
अंतर्मुखी बनने का दिन
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