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८७ : अणुव्रत-आंदोलन : एक नैतिक अभियान
जरूरी है नैतिक-निर्माण
आज चारों ओर निर्माण की चर्चा है, निर्माण का वातावरण है। लोग विभिन्न दृष्टियों से निर्माण करने में व्यस्त हैं, पर मैं अनुभव कर रहा हूं कि नैतिक निर्माण की ओर किसी का विशेष ध्यान नहीं है। उसे उपेक्षित-सा बना रखा है, पर मैं नहीं समझता कि नैतिक निर्माण के अभाव में अन्यान्य सभी प्रकार के निर्माण मिलकर भी व्यक्ति समाज और राष्ट्र को सुखी बना सकेंगे, शांति प्रदान करनेवाले सिद्ध हो सकेंगे। यदि सुख और शांति की किसी स्तर पर अभीप्सा है तो हर हालत में नैतिक निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है। प्रश्न किया जा सकता है कि नैतिक निर्माण कौन करेगा। कौन का प्रश्न ही बेमानी है। व्यक्ति-व्यक्ति को स्वयं से ही यह शुभ पहल करनी होगी। एक जीवन-निर्माणकारी अभियान
अणुव्रत-आंदोलन नैतिक निर्माण का अभियान है। चूंकि नैतिक निर्माण का फलित जीवन-निर्माण है, इसलिए इसे जीवन-निर्माणकारी अभियान कहना अधिक सार्थक है। इस जीवन-निर्माणकारी अभियान को सफल बनाने के लिए यों तो जन-जन के सहयोग की अपेक्षा है, तथापि मैं शीर्षस्थानीय लोगों को सहयोग के लिए विशेष रूप से आह्वान करूंगा, क्योंकि वे जैसा अचरण करते हैं, उसका प्रभाव जन-सामान्य पर पड़ता है। मैं चाहता हूं, वे अपने जीवन और जीवन-व्यवहार में न्याय, नीति, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, प्रामाणिकता आदि तत्त्वों को अधिक-सेअधिक स्थान दें। इससे समाज और राष्ट्र में नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था • २१४ --- -
- ज्योति जले : मुक्ति मिले
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