SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बहिष्कार-जैसा कोई अवांछनीय/अनुचित व्यवहार न किया जाए। इस मर्यादा का पालन जैन-एकता के पथ में आनेवाली एक बड़ी समस्या का समाधान है। मुझे यह बताने की कोई आवश्यकता नहीं कि सभी संप्रदायों के मौलिक सिद्धांतों में परस्पर भेद कम और अभेद ज्यादा है। इस स्थिति में हम एक तरफ आपसी समझ के स्तर पर भेद कम करने और मिटाने का प्रयत्न करें तो दूसरी तरफ अहिंसा, सत्य आदि सर्वमान्य सिद्धांतों का सामूहिक/संगठित प्रचार-प्रसार करें। इससे सबको साथ मिलजुलकर कार्य करने का एक सुंदर मंच मिलेगा, सभी को एक-दूसरे को निकटता से समझने-समझाने का सहज अवसर प्राप्त होगा और पारस्परिक निकटता भी बढ़ेगी। मैं देख रहा हूं, पूर्वापक्षया इन वर्षों में पारस्परिक समन्वय की भावना बढ़ी है, बढ़ रही है। यह भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है। मैं चाहता हूं, उपर्युक्त सूत्र या मर्यादाएं स्वीकार कर समन्वय की भावना का और अधिक विकास किया जाए। यह जैन-शासन की बहुत महत्त्वपूर्ण सेवा है। • २०८ - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy