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इस स्थिति में बदलाव की नितांत अपेक्षा है। ऐसा होने से ही नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा की पृष्ठभूमि बनेगी, नैतिकता को पनपने के लिए उर्वरा मिलेगी। फिर व्यक्ति दूसरों का सुख लूटने की बात नहीं सोच सकेगा, दूसरों का अहित-चिंतन नहीं कर सकेगा। अणुव्रतआंदोलन व्यक्ति-व्यक्ति की आत्मसंयम-चेतना झंकृत एवं जाग्रत कर यह कार्य करने के लिए प्रयत्नशील है। उसके व्यापक प्रचार-प्रसार के गर्भ में नैतिकता का दुर्भिक्ष मिटने की संभावना के दर्शन किए जा सकते हैं।
सुराना निवास सदर्न एवेन्यू, कलकत्ता २० जून १९५९
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ज्योति जले : मुक्ति मिले
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