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वहां से अपने-आप होता रहेगा । कुछ इनी गिनी प्रवृत्तियों तक ही रचनात्मकता को सीमित कर देना इस शब्द के साथ न्याय नहीं है।
महात्मा गांधी ने मद्य-निषेध को रचनात्मक प्रवृत्तियों में लिया है। इस अर्थ में तो यह समग्र आंदोलन रचनात्मक है ही । यह कैसे हो सकता है कि मद्य-निषेध तो रचनात्मक प्रवृत्ति हो और रिश्वत निषेध, मिलावट - निषेध, चोरबाजारी - निषेध आदि प्रवृत्तियां रचनात्मक न हों ?
आदि से अब तक
दस वर्ष पूर्व जबकि भारत स्वतंत्र ही हुआ था, मैंने अपने आदेशानुवर्ती लगभग साढ़े छह सौ शिष्य साधु-साध्वियों के सामने अणुवत - आंदोलन की रूप-रेखा प्रस्तुत की और भारतवासियों के नैतिक पुनरुत्थान के लिए सचेष्ट होकर कार्य करने की प्रेरणा दी। कोई एक कार्यक्रम सुचिंतित रूप में उठाकर उसमें सुसंगठित - सुव्यवस्थित रूप से इतने बड़े साधु-समुदाय को लगाना एक महत्त्वपूर्ण बात थी । इसी पुनीत उद्देश्य से मेरे साधु-साध्वियों ने पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक भारत के प्रायः सभी अंचलों में पद - यात्राएं कीं और कर रहे हैं। मैं स्वयं भी इस अवधि में राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, बिहार, बंगाल आदि प्रांतों में लगभग दस हजार मील की पदयात्रा कर चुका हूं। मुझे अपने इस कार्य में साहित्यकारों, पत्रकारों, अधिकारियों व समाजसेवी जन नेताओं का यथोचित भरपूर सहयोग मिला है। आंदोलन के कार्यक्रम से गांवों व नगरों में, शिक्षितों व अशिक्षितों में चरित्र निर्माण की एक अपूर्व लहर आई है । सहस्रों की संख्या में राज्यकर्मचारियों व व्यापारियों ने रिश्वत न लेना, झूठा तौल- -माप न करना, मिलावट न करना आदि इस आंदोलन के वर्गीय नियम ग्रहण किए हैं। लाखों की संख्या में विद्यार्थियों ने नकल न करना, तोड़-फोड़मूलक हिंसात्मक प्रवृत्तियों में भाग न लेना आदि पांच नियम ग्रहण किए हैं तथा अपने-अपने स्कूल व कॉलेज में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अणुव्रत विद्यार्थी परिषद की स्थापना की है।
व्रतों की न्यूनाधिकता पर आधारित तीन श्रेणियां हैं। उनमें लगभग एक लाख व्यक्ति प्रतिज्ञाबद्ध होकर सम्मिलित हुए हैं। कहा जा सकता है कि लगभग दस लाख व्यक्तियों ने इस अवधि में अणुव्रत आंदोलन की यथाशक्य प्रतिज्ञाएं ग्रहण की हैं। जहां तक आंदोलन की विचार - प्रेरणा का प्रश्न है, वह तो करोड़ों-करोड़ों लोगों तक पहुंची है। विचार-शुद्धि का
आध्यात्मिक व नैतिक विकास ही वास्तविक विज्ञान है
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