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जीवन-व्यवहार में धर्म का एक प्रयोग है। वह बिना किसी भेदभाव के जनजन को आह्वान करता है कि वह अपने जीवन-व्यवहार में धर्म को उतारे। उसका अभिप्रेत है कि लोग दिन-प्रतिदिन शुद्ध, सात्त्विक, ऋजु एवं संयमी बनते रहें। यही धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग है।
कलकत्ता
३१ मई १९५९
ज्योति जले : मुक्ति मिले
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