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क्रोध, मान और माया की तरह अप्रत्याख्यानी लोभ देश व्रत का तथा प्रत्याख्यानी क्रोध, मान और माया की तरह प्रत्याख्यानी लोभ महाव्रतों का अवरोधक है। संज्वलन क्रोध, मान और माया की तरह संज्वलन लोभ वीतरागता का बाधक है।।
लोभ और उसके ये चारों प्रकार जानकर व्यक्ति उसे क्षीण से क्षीण करता हुआ संपूर्ण नष्ट करने के लिए प्रयत्नशील रहे, यही अभीष्ट है।
कलकत्ता १५ मई १९५९
लोभ के चार प्रकार
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