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महान होते हैं। निस्संदेह वे दूसरों के लिए प्रेरणास्पद एवं अनुकरणीय होते हैं।
हालांकि आसक्ति एवं ममत्व से सर्वथा बचना गृहस्थों के लिए बहुत कठिन है, फिर भी हर व्यक्ति को यथासंभव इससे बचने का लक्ष्य रखना चाहिए, प्रयत्न भी करना चाहिए। लक्ष्य के प्रति पैनी दृष्टि और उस दिशा में आगे बढ़ने का सतत प्रयत्न दुष्कर को भी सुकर बना देता है। क्या मैं आशा करूं कि आप लोग इस दिशा में प्रयत्न करेंगे?
कलकत्ता १४ मई १९५९
लोभ : सबसे बड़ा खतरा है
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